-मिलाप दूगड़
तूने एक तीर झोंका था।
बहुत तुझे रोका था।
ऐसा घात झेलने का वह
पहली ही मौका था।
अंग-अंग में मस्ती भर कर
दौड़ी सुन बंसी-स्वर मनहर
अवसर धर सत्वर शर मारा
कहर भरा धोखा था!
प्रथम वार ही बेध गया उर
कैसी कसक कर गई आतुर
इस पथ पर बढ़ने से पहले
कब-किसने टोका था!
तुझको क्या, बस बाण चला कर
डूब गए अपने में, जा कर,
मेरे ऊपर क्या बीतेगी
कभी जरा सोचा था ?
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