बुधवार, 2 जून 2010

स्मृति – मन्दिर














मिलन – काल का एक एक पल,

अनुपम अनुभव – धाम बन गया।

पा ली तेरी स्नेह – दृष्टि अब,

लगता मेरा काम बन गया।

उस दिन जिस-जिस भाग्यवान को

स्पर्श मिला था तेरा,

रोम-रोम वह, रन्ध्र-रन्ध्र वह

पुलकित रहता मेरा।

वह स्पन्दन, स्फुरण सुमनशर

नित-नव अनुसन्धान बन गया।

तेरी चारु चेष्टा, मेरा

उर कर गई तरंगित,

मेरा हर पल, हर क्षण तेरी

प्रियता से आप्लावित

स्मृति की चूनर में तारों का

झिल-मिल दिव्य वितान बन गया।

सांसों की स्वर-लय संगति में

शब्द अकथ सज पाना,

अधरसुधा-सिंचित हृदयों का

एक-रूप हो जाना।

रस से भींगा युग-प्रसून वह

जीवन की मुस्कान बन गया।

स्मृति- मंदिर में उस निमेष की

प्राण-प्रतिष्ठा कर ली,

रीति-नीति से अर्चन-पूजन

की भी निष्ठा भर ली।

पर मिलाप के मधुर ध्यान में

विरह-ध्यान व्यवधान बन गया।

- मिलाप दूगड़

सभी चित्र 1 दिसंबर 2009 के हैं। इसमें श्री मिलाप दूगड़ मॉरीशस के राष्ट्रपति व उनकी श्रीमति के साथ प्रवासी फिल्म फेस्टिवल के समारोह सम्राट होटल दिल्ली मेंहामहिम अनिरूद्ध जगन्नाथ

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